Wednesday, February 15, 2012

रामायण में व्याख्या और अंतर्वेषण(INTERPRETATION and INTERPOLATION)

व्याख्या का अर्थ हुआ, वास्तविक तथ्य का विशेष विरोध न करते हुए कुछ फेर बदल करना; अंतर्वेषण का अर्थ हूआ वास्तविक तथ्य को मिथ्या की चादर लपेट कर एकदम अलग ही रूप में प्रस्तुत करना|
रामायण एक महाग्रन्थ है, तथा त्रेता युग का इतिहास ! 
चुकि इतिहास का संबंध उस युग के महान नायकों से होता है, इसलिए रामायण के किसी भी चरित्र के पास चमत्कारिक व् अलोकिक शक्ति नहीं थी ! यह समझे बिना न तो हम रामायण को समझ सकते हैं , न ही श्री विष्णु अवतार राम ने जो आदर्श स्थापित करे हैं उनका लाभ ले सकते हैं ! 

रामायण एक अत्यंत ही प्राचीन इतिहास है, कम से कम पांच लाख वर्ष से भी पहले का ; और चुकि इतिहास की मान्यता सदैव तथ्य और प्रस्तुति पर आधारित है उसमें अनेक प्रसंग जोड़े और हटाए गये होंगे, और अनेक स्पष्टीकरण भी आये हैं ! ध्यान रहे प्रस्तुति सदैव वर्तमान समाज या शासकीय प्राथमिकताओं पर आधारित होती है ; तथा यही इतिहास की परिभाषा भी है ! 

इसका एक प्रमाण आपसब के सामने उपलब्ध भी है; और वोह है पिछले १५०० वर्ष का भारत का इतिहास| एक ही इतिहास हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, और बंगलादेश का है, परन्तु व्याख्या और अंतर्वेषण के प्रयोग से तीनो देशो का इतिहास भिन्न लगता है |

चुकी त्रेता युग में विज्ञान का अत्यधिक विकास था, जिसमें विमान तथा प्रलय स्वरूपि अस्त्र-शास्त्र(उद्धरण: शिव धनुष) भी थे , इन पांच लाख वर्षों में ऐसे अनेक समय आये थे जब विकसित विज्ञान, विमान एक कल्पना मात्र था, उस समय उस इतिहास को समझाने के लीये मिथ्या की चादर इतिहास पर लपेटने पड़ती थी , तथा उसके लीये इन चरित्रों को अलोकिक व् चमत्कारिक शक्तियों से सुसज्जित कर दिया जाता था| 

यही नहीं, केवल १०० वर्ष पूर्व तक भारत में भी इसके अतिरिक्त कोइ विकल्प नहीं था ! प्रसंग को उस समय के समाज और शासकीय प्राथमिकताओं के अनुकूल बनाने के लीये अलोकिक शक्तियां तथा व्याख्या और अंतर्वेषण का उदार प्रयोग आपको रामायण में दिखाई देगा , जिसको हटाना समय की गंभीर आवश्यकता है !

यहाँ पर हम व्याख्या और अंतर्वेषण का रामायण के संदर्भ में प्रयोग और अर्थ समझेंगे ! उसके लीये रामायण में से ही कुछ व्याख्या और अंतर्वेषण के उदाहरण प्रस्तुत हैं ! आप चाहें तो अपने विवेक से उस समय के विज्ञान की परिकल्पना भी कर सकते हैं, जिसको छिपाने के लीये यह व्याख्या और अंतर्वेषण उपयोग करे गए हैं : 
1. हनुमान अलोकिक शक्ति का प्रयोग करके एक छलांग लगा कर लंका पहुँच गए ! 
2. परशुराम ने पृथ्वी को २१ बार युद्ध करके क्षत्रियों से रिक्त करा, अर्थात समस्त क्षत्रियों को मार डाला ! 
3. महाऋषि गौतम ने अपनी पत्नी के कथित अभद्र व्यवाहर के कारण उसे श्रापित करके पत्थर में बदल दिया ! 
4. हनुमान जी पूरा पहाड अपनी अलोकिक शक्ति का प्रयोग करके हिमालय से लंका ले आए ! 
5. स्वर्ग में बैठी सरस्वती माता ने मंथरा की बुद्धी फेर दी, जिसके कारण कैकई ने राम को वन भेजने का प्रस्ताव रखा !
और भी उद्धरण प्रस्तुत करे जा सकते हैं ! 

व्याख्या और अंतर्वेषण के अंतर को समझते हैं, ताकी आप अनुमान लगा सके कि इतिहासिक तथ्य को किस तरह से प्रस्तुति के लीये तोडा मरोड़ा जा सकता है ! 

उसके लीये एक उद्धरण लेते हैं : 
‘महाऋषि गौतम ने अपनी पत्नी के कथित अभद्र व्यवाहर के कारण उसे श्रापित करके पत्थर में बदल दिया’ !
अब पहले तथ्य को जान लें, जो कि आपको भी समझ में आ गया होगा : 

महाऋषि गौतम अपनी पत्नी अहलिया के कथित अभ्रद व्यवाहर से अत्यंत रुष्ट हो गए, और आगे का तथ्य यह है कि अहलिया जीवित नहीं रही ! संभवत: पूरा तथ्य यह हो सकता है कि गौतम ऋषि ने क्रोध में अहलिया को मारा जिससे वह मर गई, या ऐसी बात कह दी कि उन्होंने आत्महत्या कर ली !

व्याख्या और अंतर्वेषण से इसी तथ्य को क्या स्वरुप दिए जा सकते हैं ;

पहले व्याख्या : 
माता अहलिया कि .......
1. अचानक मृत्यु हो गई 
2. उनकी हत्या कर दी गई, 
3. उन्होंने आत्महत्या कर ली !
अत: व्याख्या का अर्थ हुआ, वास्तविक तथ्य का विशेष विरोध न करते हुए कुछ फेर बदल करना !

अंतर्वेषण:
1. वह अंतर्धान हो गई, 
2. वह पत्थर में बदल गई, 
3. वह पत्थर के अंदर बंदी बन गई लेकिन वह जीवित रही !
अंतर्वेषण का अर्थ हूआ: वास्तविक तथ्य को मिथ्या की चादर लपेट कर एकदम अलग ही रूप में प्रस्तुत करना !

जैसा कि पहले भी कहा जा चूका है कि आज का समाज विज्ञान सम्बंधित जानकारी रखता है, तथा गलत अर्थ बता कर हम समाज का अहित ही कर रहे हैं; ऐसे में यह आवश्यक है कि मिथ्या की चादर रामायण से हटा दी जाय !

सही तथ्य गौतम ऋषि के रुष्ट होने से आरम्भ होता है और अहलिया की मृत्यु पर समाप्त होता है ! यह कहने में कोइ संकोच नहीं है कि गौतम ऋषि ही अहलिया की मृत्यु का कारण थे ! 

कृप्या इस विषय पर अपने आस पास अवश्य चर्च करें, क्यूँकी जन-चेतना से ही समाज में सुधार संभव है !
You may also like to read the same in English: INTERPRETATION and INTERPOLATION in Ramayan

1 comment :

sana said...

सियावर रामचंद्र की जय

ABOUT ME:

A Consulting Engineer, operating from Mumbai, involved in financial and project consultancy; also involved in revival of sick establishments.

ABOUT MY BLOG: One has to accept that Hindus, though, highly religious, are not getting desired result as a society. Female feticide, lack of education for girls, dowry deaths, suicides among farmers, increase in court cases among relatives, corruption, mistrust and discontent, are all physical parameters to measure the effectiveness or success/failure of RELIGION, in a society. And all this, despite the fact, that spending on religion, by Hindus, has increased drastically after the advent of multiple TV channels. There is serious problem of attitude of every individual which need to be corrected. Revival of Hindu religion, perhaps, is the only way forward.

I am writing how problems, faced by Indian people can be sorted out by revival of Hindu Religion.