HOW THE PHYSICAL PERFORMING PART OF THE RELIGION WAS REDUCED DURING 1000 YEARS OF INVADERS RULE~~जिस तरह से एक नाग बुरे वक्त मैं कुंडली मार कर और अपना सर भी उसमें छिपा कर लम्बें समय तक रह सकता है, उसी तरह से हिंदू समाज उस बुरे वक्त से निकल पाया !
सबसे ज्यादा भारत के लिए डर की बात है , हिंदू समाज की लगातार बढ़ती हुई कमजोरी | इसका कारण है हमारी कर्महीन मानसिकता जो, हमें विरासत मैं मिली है और १००० वर्ष की गुलामी की देंन है ; और भी ज्यादा कष्ट की बात यह है कि यह कर्महीन मानसिकता, हिंदू समाज की पिछले ६५ वर्षों मैं और बढ़ी है |
लकिन इससे भी ज्यादा तकलीफ वाली बात यह है की हम मानसिक रूप से इतने दुर्बल हो गए हैं , की हम अब इसपर चर्चा करने से भी घबराते हैं , चुकी इस चर्चा मैं हर व्यक्ति को अपने अंदर झाँक कर देखना होगा , जो की असुविधाजनक है , दुसरे मैं गलती निकालना जितना आसान नहीं है |
संषेप मैं नीचे प्रस्तुत है कि भौतिक(PHYSICAL) धर्म को गुलामी के समय कैसे घटाया गया :
1. चुकी अविवाहित कुमारी कन्याओं को जबरदस्ती उठा कर ले जाया जाता था, तो कम उम्र मैं शादी का प्रचलन चालू हो गया
2. कन्यायों के साथ जो जुल्म और अत्याचार हो रहा था, तथा चुकी उससे निबटने का का कोइ विकल्प नहीं था, इसलिये लोग कन्या के पैदा होते ही उसे मारने लगे |
3. कम उम्र मैं लड्कीओं की शादी एक प्राथमिकता बन गयी, जिसके लीये दहेज मांगा जाने लगा और दिया जाने लगा | जिन लोगो के पास दहेज देने के लिये नहीं था, वो बूढा दुल्हा, या और ज्यादा बूढा दुल्हा ढूँढने लगे | जो धर्म कन्यायों के लिये स्वांबर को प्रोहिसाहित करता था ; यानी धर्म की मान्यता थी की कन्यायों की शादी मैं उनकी सोच और सहमती शामिल होनी चाहिये, वही तब बाल विवाह को प्रोहोत्साहन देने लगा |
4. बूढा दुल्हा, या और ज्यादा बूढा दुल्हा कम उम्र मैं स्त्रीयों को विधवा बनाने लगा | कम उम्र की विधवा सामाजिक शोषण से बच सके, इसलिये सती प्रथा को सख्ती से लागू करा जाने लगा|
5. धर्म परिवर्तन के लीये हर तरह का जुल्म हिंदू समाज को सहना पड़ा |चुकी विरोध संभव नहीं था, इसलिये कर्म या धार्मिक कर्म को कम कर दिया गया, यह सोच कर कि आगे कभी सही वक्त मैं उसे दुबारा लागु करा जा सकता है |
6. चुकी आक्रमणकारी शासकों को राज्य करने के लिये कर वसूली भी आवश्यक थी, इसलिये जाती प्रथा को प्रोहत्साहन दिया गया, ताकी कर सुगमता से वसूला जा सके |
7. कर्म या धार्मिक कर्म को पूरी तरेह से घटा दिया गया था, ताकी हिंदू समाज धर्म परिवर्तन से बच सके|उस घोर संकट के समय भक्ति को ही पूर्ण धर्म मान लिया गया |
8. यहाँ तक की वर्त, जिसमें लोग निश्चित समय के लिये कुछ नहीं खाते, उसके नियम भी इतने हल्के कर दिये गए; ताकी लोग दिन भर खाते पीते रहें और धार्मिक वर्त करने का लाभ भी उन्हे मिल जाए |
9. ताकी लोगों मैं आस्था बनी रहे कि जुल्म और जुल्म करने वाले जल्दी ही नष्ट होंगे, इश्वर और भक्ती कि शक्ती को बढा चढ़ा के बताया गया |
जिस तरह से एक नाग बुरे वक्त मैं कुंडली मार कर और अपना सर भी उसमें छिपा कर लम्बें समय तक रह सकता है, उसी तरह से हिंदू समाज उस बुरे वक्त से निकल पाया |
वोह उस समय की मांग थी | कर्महीन बन कर ही हिंदू समाज धर्म परिवर्तन से बच पाया | लेकिन आजादी के बाद ऐसा क्यूँ हो रहा है ? क्या अब हिंदू समाज का श्रोषण हमारे धर्म गुरु कर रहे हैं ? क्या अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये हमे दुबारा गुलामी की तरफ धकेला जा रहा है?
इन सब प्रश्नों का उत्तर समाज को मांगना चाहिये |
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